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सम्पूर्ण गृह वास्तु, बिना तोड़े फोड़े

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सम्पूर्ण व्यवसायिक वास्तु शास्त्र प्राकृतिक नियमों पर आधारित है। वास्तु षास्त्र का सिद्धांत ही है प्रकृति के अनुकूल व प्रकृति के तत्वों के अनुसार भवन निर्माण कर उससे पूर्ण लाभ प्राप्त करना। इसलिए वास्तु को प्रकृति तथा वास्तुश् षास्त्र को प्रकृति षास्त्र भी कहा गया है।

जिस प्रकार व्यक्ति अपने घर को वास्तु सम्मत् बनाकर सुखी रहना चाहता है, उसी प्रकार अपने कार्यस्थल को भी वास्तु के नियमों के अनुरूप बनाकर धन, सुख, समृद्धि, सौभाग्य, सफलता, प्रतिष्ठा व स्वास्थय प्राप्त कर सकता है। प्रत्येक व्यक्ति अपने दिन का अधिकतम् समय अपने कार्यस्थल पर ही बिताता है, इसलिए वहाँ तनावमुक्त रहने से वह अधिक स्फूर्तिदायक, उत्साहवर्धक व कार्यसक्षम रहेगा।

प्रस्तुत पुस्तक में व्यावसायिक वास्तु के विभिन्न रूपों का विस्तार से वर्णन किया गया है। वास्तु के मूलभूत सिद्धान्तों का उल्लेख करते हुए भूमि चयन, निर्माण कार्य, आंतरिक विन्यास को समझाते हुए, वास्तु व पर्यावरण, वास्तु व ज्योतिष, वास्तु और मुहूर्त, लाल किताब वास्तु, अंक ज्योतिष व वास्तु, राषियों द्वारा वास्तु ज्ञान, दिषाएं, ग्रह व अनुकूल व्यवसाय, वास्तु मूल्यांकन, वास्तुदोषों के उपायों आदि का उल्लेख किया गया है। जनसामान्य की पहुंच के भीतर आने वाले वास्तु व फेंगषुई के उपाय, मांगलिक वस्तुएं, यंत्र, रूद्राक्ष, पिरामिड एवं दर्पण द्वारा वास्तु दोष निवारण की जानकारियाँ भी दी गई हैं।

विस्तार से जानेंः-
दुकान व षोरूम, कार्यालय, आफिस, रेस्टोरेन्ट, होटल, गेस्ट हाऊस, फार्म हाऊस, रिसोर्ट, बैंकिट हाल, क्लीनिक, नर्सिंग होम, अस्पताल, थियेटर, मल्टिप्लेक्स, बैंक, स्कूल, कालेज, व्यवसायिक परिसर, माॅल, धार्मिक वास्तु व नगर वास्तु।

Size: 5.25″ x 8.5″ approx
ISBN: 81-7727-359-0