सहज ग्रोवर: देश का नाम रोशन करने की तैयारी
होनहार बिरवान के, होत चीकने पात’ यह वाक्य सहज ग्रोवर पर पूर्ण रूप से लागू होता है। 07.09.1995 को रात्रि 10.50 पर दिल्ली में जन्मे विजय ग्रोवर एवं संगीता के छोटे पुत्र पर पूरे परिवार को नाज है। सिर्फ 3 वर्ष की अवस्था से ही शतरंज की बिसात पर लोगों को मात देना उसका मुख्य शौक है। कुलाची हंसराज माॅडल स्कूल, अशोक विहार, दिल्ली का 5 वर्ष का विद्यार्थी पढ़ाई में तो तेज है ही, साथ ही स्कूल द्वारा सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का प्रमाणपत्र भी पा चुका है। दिल्ली शतरंज एसोसिएशन ने भी उसकी प्रतिभा को सराहा है। एसोसिएशन द्वारा आयोजित शतरंज प्रतियोगिता के जूनियर (कनिष्ठ) वर्ग में उसने प्रमुख स्थान पाया है। अंतर्विद्यालय शतरंज टूर्नामेंट ‘16 वर्ष से कम उम्र’ में प्रथम स्थान भीलवाड़ा स्टूडेंट चेस टूर्नामेंट वर्ग ‘कनिष्ठ में’ दूसरा स्थान पा चुका है। वह भगवती ग्लास ओपन चेस टूर्नामेंट वर्ग में भी दूसरा स्थान पा चुका है और बोटवनिक चेस एकेडमी के कनिष्ठ वर्ग में भी दूसरे स्थान पर आ चुका है। राष्ट्रीय स्तर पर भी उसने विशेष पुरस्कार प्राप्त किये हैं।
सहज ग्रोवर विश्वनाथन आनंद की तरह अपने देश का नाम रोशन करना चाहता है। इसके लिए उसने अभी से तैयारियां शरू कर दी हैं। दिल्ली चैंपियन गुरप्रीत पाल सिंह, दिल्ली विश्वविद्यालय के करुण दुग्गल और आर. के. गुप्ता सहज को तराशने में लगे हुए हैं। सहज के माता-पिता अपने बच्चे की प्रतिभा को संवारने के लिए हर संभव उपाय कर रहे हैं।
शतरंज के अलावा गणित में भी सहज का अच्छा अधिकार है। वह कैरम खेलने एवं प्यानो बजाने का भी शौक रखता है और, अपनी माता की तरह, गाने का भी शौकीन है। उसके पिता उससे बहुत आशाएं लगाए बैठे हैं। सबकी आंखों का तारा सहज सबको सहज ही लुभा लेता है। वृष लग्न में जन्मे सहज का माथा चैड़ा एवं आकृति सुंदर है।
सहज ग्रोवर की जन्मकुंडली का विश्लेषण करने पर हम पाते हैं कि सूर्य, बुध और शनि स्वराशि में हैं। तीन ग्रह स्वराशि में हों, तो व्यक्ति अपने कुल में श्रेष्ठ और प्रतिभाशाली माना जाता है और अपनी पारिवारिक प्रतिष्ठा की वृद्धि करता है। लग्नेश सूर्य के साथ चतुर्थ भाव में शनि और चंद्र से दृष्ट है। लग्न पर गुरु की पूर्ण दृष्टि है और गुरु केंद्र में मित्र राशि में है। शनि लग्न से केंद्र में स्वराशि में होने से सस योग बना रहा है, जो व्यक्ति को प्रधान या मंत्री भी बना सकता है। राजयोग कई तरह से बन रहा है। लग्नेश केंद्र में, पंचमेश पंचम में, नवमेश केंद्र में, लग्नेश की चतुर्थेश से युति और राहु की केंद्र स्वामी मंगल से युति राजयोग कारक हैं। द्वादशेश का छठे भाव में होने से विपरीत राजयोग भी बन रहा है।
लग्न और लग्नेश दोनों पर नवमेश की दृष्टि होने से महादान योग बन रहा है। गुरु से चंद्र केंद्र में होने से गज केसरी योग बन रहा है। अमल, वेसि और लग्नाधि योग भी कुंडली में हैं। पराक्रमेश दशम भाव में हो, तो जातक राजा द्वारा सम्मानित होता है। शनि आत्मकारक हो कर केंद्र में स्वराशि में स्थित है। नवमेश शनि का दशम् भाव में होना भी व्यक्ति को प्रसिद्ध पुरुष बनाता है। चंद्र शनि से युक्त केंद्रस्थ हो, तो व्यक्ति अपने तथा देश के कोष में वृद्धि करने वाला होता है। राहु और केतु भी मित्र राशि में ही स्थित हैं। बुध कन्या राशि में त्रिकोण में होने से बच्चे की बुद्धि तीक्ष्ण होगी। बच्चा मेधावी, गणितज्ञ, सदगुणी, स्त्रियों का प्रिय, धार्मिक एवं सुंदर आंखों वाला होगा। इस प्रकार हम आशा कर सकते हैं कि सहज ग्रोवर अपने देश का नाम ऊंचा करेगा।