संसद पर आतंकवादी हमला
भारतीय संसद पर हुए हमले की तुलना 11 सितंबर 2001 को अमेरिका में हुए आतंकवादी हमले से की जा सकती है। दोनों घटनाओं में काफी समानताएं हैं। दोनों घटनाओं में आत्मघाती आतंकवादी थे। 11 सितंबर का हमला विश्व के सबसे शक्तिशाली लोकतंत्र पर था, जिसका अंजाम अफगानिस्तान से तालिबान और अलकायदा के शर्मनाक सफाये के रूप में हुआ। 13 दिसंबर का हमला विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र पर हुआ है, जिसका अंजाम पूरी एशिया से आतंकवादी सफाये के रूप में होना चाहिए। विश्व के सभी देशों ने इसकी निंदा की है। संसद पर हुआ हमला, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आई एस आई के इशारे पर, जैशे मोहम्मद और लश्करे तैयबा ने मिल कर किया है। दिल्ली पुलिस ने घटना के तीन दिन के अंदर ही साजिश रचने वाले जैश के चार लोगों को गिरफ्तार कर के साजिश के पीछे पाकिस्तान का हाथ होने के सबूत इकट्ठे कर लिये हैं।
भारत के प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कहा है कि आतंकवाद के सफाये के लिए ही ईश्वर ने हमें बचाया है। हमपर हमला करने वालों की सजा भी, अपराध के अनुरूप ही, गंभीर होगी। भारत ने पाकिस्तान से अपनेे उच्चायुक्त को वापिस बुला लिया है और रेल तथा बस संपर्क को एक जनवरी से बंद कर दिया गया।
इस घटना का ज्योतिषीय अध्ययन करने के लिए भारत की कुंडली, वाजपेयी जी की कुंडली और घटना के समय की कुंडली का अध्ययन करते हैं।
राहु और मंगल में संबंध बनने से आतंकवादी घटनाएं अधिक होती हैं
राहु तोड़-फोड़ और अचानक होने वाली घटनाओं का कारक है। मंगल भूमि और खूनखराबे का कारक है। शनि गुस्सा और शत्रुओं का कारक है। गोचर में जब भी इनका संबंध बनता है, तब इन घटनाओं की पुनरावृत्ति होती है। सितंबर 2000 से राहु अपनी उच्च राशि मिथुन में आया है और 16 फरवरी 2002 तक रहेगा। इस दौरान जब-जब भी राहु और मंगल का दृष्टि संबंध हुआ है, या राहु और मंगल त्रिकोण में आये हैं, तब-तब आतंकवादियों ने सिर उठाये हैं। पिछले एक वर्ष में भारत में हुई आतंकवाद की घटनाओं का विवेचन करने पर इस तथ्य को सही पाते हैं।
घटना के समय की कुंडली का अध्ययन करने पर पाते हैं कि मंगल और राहु एक दूसरे से त्रिकोण में हंै। मंगल लग्न में कुंभ राशि में है। भारत की कुंडली में दशम भाव में कुंभ राशि पड़ती है। दशम भाव से ही संसद, मंत्री और राजा का विचार किया जाता है। भारत की कुंडली के लिए मारक मंगल घटना के समय जब कुंभ राशि में आया, तब यह घटना हुई। घटना के समय सूर्य दशम भाव में था, जिस वजह से संसद, मंत्री और प्रधानमंत्री सुरक्षित रहे। सूर्य दशम भाव में बलवान होता है। शनि चतुर्थ भाव में होने से जनता में भय का वातावरण बना। शनि की तीसरी दृष्टि छठे भाव पर होने से थलसेना को बुला लिया गया। शनि की सातवीं दृष्टि दशम भाव पर और वहां चंद्र, शुक्र और सूर्य के होने से सरकार भी डर और गुस्से से भर गयी। सभी महत्वपूर्ण व्यक्तियों और सरकारी प्रतिष्ठानों की सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गयी। मंगल और शनि का दृष्टि संबंध होने से पूरी व्यवस्था में भूकंप सी स्थिति बन गयी। मंगल की सातवीं दृष्टि सप्तम भाव पर होने से विदेशी मामलों से परेशानी हुई। मंगल की आठवीं दृष्टि अष्टम भाव पर होने से दुर्घटना में सुरक्षा बल के कर्मियों और आतंकवादियों की मृत्यु हुई। राहु की एकादश भाव पर दृष्टि से कानून और व्यवस्था पर सवालिया निशान लगे। गुरु की दृष्टि भी एकादश भाव पर ही है, जिससे दिल्ली पुलिस ने तीन दिन के अंदर ही हमले के सूत्रधारों को बेनकाब कर दिया।
भारत की कुंडली में मंगल और राहु द्विद्वादश संबंध बना रहे हैं। भारत की कुंडली में इस समय शुक्र की महादशा में गुरु की अंतर्दशा चल रही है। शुक्र लग्नेश होने से शुभ और गुरु अशुभ ग्रह होने से अशुभ फल देता है। शनि पराक्रम भाव में होने से धीरे-धीरे पराक्रम की वृद्धि होती है। लेकिन जब काम करने की ठान लेते हैं, तो कर के ही आराम करते हैं। भाग्येश द्वारा भाग्य भाव को देखने से भी भाग्य की वृद्धि होती है।
प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी की कुंडली का अध्ययन करने पर पाते हैं कि उनकी राहु की महादशा में मंगल की अंतर्दशा चल रही है। राहु ने उन्हें सत्ता के शिखर पर तो पहुंचा दिया, लेकिन मंगल मारक है और राहु और मंगल वहां भी एक दूसरे से त्रिकोण में है। इसलिए मई 2002 तक प्रधानमंत्री जी को अपनी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखना चाहिए।
26 अप्रैल 2002 से 18 मई 2002 तक भारत की कुंडली में लग्न से पांच ग्रह गोचर करेंगे। 15 मई 2002 को 02.45 से 05.45 तक सात ग्रह वृष राशि में रहंेगे। शनि भी 30 मई 2002 तक रोहिणी नक्षत्र में ही रहेगा। इसलिए आतंकवादियों का सफाया करने के लिए भारत को युद्ध में भी लगा रहना पड़ सकता है। अंततः विजय भारत की ही होगी।