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अमेरिका पर आतंकवादी कहर

अक्तूबर 2001
अमेरिका में अब तक के सबसे बड़े आतंकवादी हमले की खबर ने दुनिया भर को हिला कर रख दिया है। इसकी जितनी भत्र्सना की जाए, कम है। इतिहास में इस तरह की कई मिसालें हैं जब अमेरिका के लोगों को, अमेरिका के अंदर और बाहर, आतंकवादी हमलों का सामना करना पड़ा है।

11 सितंबर 2001 को न्यूयाॅर्क और वाॅशिंग्टन में आतंकवादी हमलों के बाद अमेरिका में आपात्कालीन स्थिति घोषित कर दी गयी। अमेरिका के राष्ट्रपति जाॅर्ज बुश ने हमले का बदला लेने की चेतावनी दे दी है। अबूधाबी टेलिविजन के मुताबिक डेमोक्रेटिक फ्रंट फाॅर द लिबरेशन आॅफ फिलिस्तीन ने फोन पर हमले की जिम्मेदारी ली है। अमेरिका के अधिकारियों ने कहा है कि हमले के पीछे लादेन का हाथ होने के भी संकेत हैं।

इन घटनाओं का ज्योतिषीय अध्ययन करने पर पता चला कि राहु और मंगल में संबंध बनने पर आतंकवादी घटनाएं अधिक होती हैं। राहु तोड़-फोड़ और अचानक होने वाली घटनाओं का कारक है। मंगल भूमि और खूनखराबे का कारक है। शनि गुस्सा, घाव और शत्रुओं का कारक है। गोचर में जबभी इनका संबंध बनता है, तब इन घटनाओं की पुनरावृत्ति होती है। इस घटना का विश्लेषण करने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति जाॅर्ज बुश और घटना के समय की कुंडलियों का विवेचन करेंगे।

अमेरिका की कुंडली में मंगल, पंचमेश और द्वादशेश हो कर, सप्तम भाव में बैठा है, जिससे विदेशी मामलों में उलझे रहना पड़ता है। मंगल चैथी दृष्टि से दशम् भाव को देखता है, जहां शनि बैठा है, जिस कारण सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी होती रहती हैं। द्वादशेश के सप्तम भाव में होने से, विदेशियों के आक्रमण द्वारा, समय-समय पर हानि उठानी पड़ती है। राहु अष्टम भाव में होने से गुप्त युक्तियों द्वारा कार्यों का निष्पादन होता है। शनि दशम भाव में होने से प्रजातंत्र का बोलबाला रहता है। शनि की तृतीय दृष्टि द्वादश भाव पर होने से खर्च अधिक रहता है और विदेशी मामलों में असंतोष भी रहता है।

इस समय चंद्रमा की महादशा में गुरु की अंतर्दशा चल रही है। चंद्रमा, अष्टमेश हो कर, तृतीय भाव में बैठा है, जहां से सातवीं मित्र दृष्टि से नवम् भाव को देखता है। अतः, कुछ परेशानियों के साथ, भाग्य एवं धर्म की वृद्धि होती रहती है, परंतु संघर्षों का सामना भी निरंतर करना पड़ता है और विनाशकारी परिस्थितयां भी आती रहती हैं।

अमेरिका के राष्ट्रपति जाॅर्ज बुश की कुडंली का अध्ययन करने से पता चलता है कि राहु-केतु काल सर्प योग बना रहे हैं, जिसने उन्हें सत्ता के शिखर तक पहुंचा दिया है। लेकिन राहु की अंतर्दशा होने से उन्हें तोड़-फोड़ और अचानक होने वाली घटनाओं से निपटना पडे़गा।

घटना के समय की कुंडली से पता चलता है कि मंगल के चैथे भाव में होने से आंतरिक शांति भंग हुई और सुखों में कमी आयी। गुरु-राहु दसवें भाव में गुरु चांडाल योग बना रहे हैं। सूर्य द्वादश भाव में होने से खर्चों का बोझ बढ़ा। मंगल की चैथी दृष्टि सप्तम भाव पर होने से विदेशी मामलों से परेशानी हुई। सातवीं दृष्टि दशम भाव पर पड़ने से राज्य के लिए परेशानियां पैदा हुईं। राहु की दृष्टि सप्तम भाव पर होने से जनता का नुकसान हुआ और पूरे विश्व में भय व्याप्त हो गया। सभी देशों ने अपनी-अपनी सुरक्षा व्यवस्था को सचेत कर दिया है। शेयर बाजारों में गिरावट दर्ज की गयी। 18 अक्तूबर 2001 तक मंगल धनु राशि में राहु के सामने ही रहेगा। तब तक विश्व में आतंकवादी घटनाओं और तोड़-फोड़ की आशंका रहेगी।