सुखी समाज - सुख का आधार
आज हर व्यक्ति सुखी होना चाहता हैं। सुख की चाह मे वह कहाँ-कहाँ नहीं भागता! धन, स्त्री, वियाग्रा, शराब, योगा इत्यादि। इन सबके पीछे भागते-भागते वह अपने समाज से दूर होता जा रहा है। सुखी समाज सुखी परिवारों से बनता है और सुखी परिवार सुखी व्यक्तियों से। आज व्यक्ति के पास अपने परिवार के लिए समय नही है। भाई, बहन, माता-पिता, गुरु, स्त्री, नाना, दादा आदि के साथ संबंधो की गरिमा समाप्त होती जा रही है। यदि कोई व्यक्ति अपने नवग्रहों द्वारा पीड़ित है तो उसे सबसे पहले अपने सामाजिक परिवेश को सुधारना चाहिए। सूर्य से पीड़ित व्यक्ति को अपने पिता की सेवा करनी चाहिए, उनका आशिर्वाद लेना चाहिए। चंद्र से पीड़ित व्यक्ति माता की सेवा करे व उनका आशिर्वाद प्राप्त करे। भाई की सेवा करने से मंगल शुभ फल देता है। बहन, बेटी, बुआ व मौसी की सेवा करने से बुध देव प्रसन्न होते है। ब्राह्मणों व गुरुओं की सेवा से गुरु ग्रह शुभ फल देते है। स्त्री का सम्मान करने से शुक्र शुभ फलदायी होगा। नौकरो को खुश रखने से शनि देव प्रसन्न होते है। दादा की सेवा करने से राहु व नाना की सेवा करने से केतु शुभ फलदायी होगा। समाज के इन व्यक्तियों से संबंध सुधार कर आप स्वयं तो सुखी होंगे ही, आपका परिवार और समाज भी सुखी हो जाएगा। सुखी समाज ही हमारे सुख का आधार है।
अपने परम कल्याण के लिए हमेशा महामंत्र का जप करें
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे